रहस्यमयी भूतनी की कहानी (The Mysterious Ghost Story)

रहस्यमयी भूतनी की कहानी (The Mysterious Ghost Story)

रहस्यमयी भूतनी की कहानी (The Mysterious Ghost Story)

एक समय की बात है, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में लोगों की एक ख़ुशनुमा ज़िन्दगी चल रही थी। यह गाँव चारों तरफ से पहाड़ों और झीलों से घिरा हुआ था, और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता लोगों का मन मोह लेती थी। पर इस गाँव के बारे में एक रहस्यमयी बात चर्चा में थी। लोग कहते थे कि यहाँ एक भूतनी का साया मंडराता है।

गर्मी की उन रातों में, जब चाँदनी अपनी पूरी रोशनी फैला रही होती थी, लोगों को अक्सर एक किर्राती हुई आवाज़ सुनाई देती। इस आवाज़ को लोग “भूतनी की आवाज़” कहते थे। पहले तो लोग इसे बस एक अफवाह मानते थे, लेकिन जब गाँव के पुजारी, पंडित शिवप्रसाद, ने खुद इस भूतनी को देखकर उसकी आवाज़ सुनी, तब यह चर्चा और भी गर्म हो गई।

पंडित शिवप्रसाद ने बताया कि एक रात, जब वह मंदिर में आरती कर रहे थे, तो उन्होंने एक छाया को देखा। वह छाया बिलकुल किसी विलासी स्त्री की थी, अपने लंबे बालों को खोले हुई और सफेद साड़ी में लिपटी हुई। उसके चेहरे पर एक अजीब से हंसी थी और उसकी आंखों में गहरी उदासी झलक रही थी। पंडित जी ने उसे देखा और बस यही कह पाए, “तुम कौन हो?”

भूतनी ने कोई जवाब नहीं दिया और गायब हो गई। गाँव के लोगों ने पंडित जी की बातों पर संदेह किया, लेकिन कई और लोगों ने भी ऐसे ही अनुभव साझा किये। यह भूतनी अधिकतर रात को ही प्रकट होती थी और पर्वत के पास वाले पुरानी हवेली की तरफ जाती हुई दिखती थी।

गाँव के बड़े-बुजुर्गों ने बताया कि यह भूतनी दरअसल एक नवयुवती है जिसका नाम सुहासिनी था। यह भूतनी की कहानी (bhootni ki kahani) गांव के बुजुर्गों की जुबान पर हमेशा रहती थी। सुहासिनी एक गरीब घर की बेटी थी और बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान थी। उसकी सुन्दरता पूरे गाँव में चर्चित थी। लेकिन उसकी किस्मत ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि उसे अपनी जान गँवानी पड़ी।

सुहासिनी की शादी गाँव के सबसे अमीर ज़मींदार के बेटे से होनी थी। लेकिन उसकी सुंदरता और सरलता के कारण गाँव के कुछ नासमझ युवकों ने उसे तंग करना शुरू कर दिया। एक दिन उन्हीं युवकों ने उसे परेशान करने की कोशिश की, और वह भागकर उस पुरानी हवेली में छिप गई। लेकिन वह हवेली पहले से ही खंडहर में बदल चुकी थी और वहाँ से निकलते वक्त उसे एक हादसे में जान गवानी पड़ी।

लोग कहते हैं कि सुहासिनी की आत्मा को शांति नहीं मिली और इसलिए वह भूतनी बनकर हर रात उस हवेली की ओर जाती है। यह भूतनी की कहानी (bhootni ki kahani) गाँव के हर बच्चे की जुबान पर थी।

गाँव वालों ने कई बार उस हवेली में जाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही मिली। इस बीच, गाँव के कुछ युवकों ने एक नई योजना बनाई। उन्होंने फैसला किया कि वे मिलकर इस रहस्य को सुलझाएँगे और भूतनी की आत्मा को शांति दिलाएँगे।

रात के अंधेरे में, वे युवा साहस बटोर कर उस हवेली की ओर चल पड़े। हवेली पहुँचने पर उन्होंने एक अजीब सी ऊर्जा महसूस की। वे धीरे-धीरे हवेली के अंदर गए और वहाँ उन्हें सुहासिनी की आत्मा मिली। यह पूरी भूतनी की कहानी (bhootni ki kahani) गाँव के लोगों ने सुहासिनी से ही सुनी।

उस आत्मा को देखकर डर गए, लेकिन साथ ही उसे ध्यान से देखने पर देखा कि उसकी आँखों में दुःख और पीड़ा झलक रही थी। तभी उनमें से एक युवक ने हिम्मत जुटाई और कहा, “सुहासिनी, हम जानते हैं कि तुम्हारी आत्मा को शांति नहीं मिल पाई। हमें बताओ, हम तुम्हारी मदद कैसे कर सकते हैं?”

सुहासिनी ने धीरे-धीरे कहा, “मेरी आत्मा को बस एक सही दफन चाहिए। मुझे वहीँ दफन करो जहाँ मेरा असली घर था।”

युवकों ने उसके निर्देशों का पालन किया और अगले दिन पूरा गाँव मिलकर सुहासिनी के पुराने घर पर उसकी एक पवित्र धारा के निकट दफन किया। उसके बाद से गाँव में भूतनी की आवाज़ कभी नहीं आई और गाँव फिर से खुशहाल हो गया।

इस तरह, एक युवा लड़की की दुःख भरी कहानी ने गाँव के लोगों को एक सच्चाई से रूबरू कराया और सबको यह सिखाया कि सच्ची शांति आत्मा को तब ही मिलती है जब इंसाफ और प्रेम का साथ हो।

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